An Unbiased View of parad shivling

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पारद शिवलिंग की पूजा करने से ग्रह दोष और जीवन के पाप दूर होते हैं।

It develops mind energy to attain powerful will which is good for progress of the two Bodily well being and thoughts. Parad shivling worship will harmonise the relationships among the all the members of the family. It is alleged in Brahma Purana that who worships Mercury Shivling devotedly receives entire wordly pleasures, and finally attains supreme spot (salvation).

    It is alleged in Brahma Purana that who worships Mercury Shivling devotedly gets comprehensive wordly pleasures, and eventually attains supreme vacation spot (salvation)

अगर परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब है तो उनको दवाओं के साथ पारद शिवलिंग की पूजा करवाएं। ऐसा करने से सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है

नवदुर्गा कवच अति पवित्र और बहुमूल्य है। इसे ख़ास नैनो तकनीक के माध्यम से आधुनिक रूप में तैयार किया गया है। इस कवच में माँ नवदुर्गा की भव्य प्रतिमा है। माँ भगवती से संबंधित पारद शिवलिंग मंत्रों के माध्यम से इसे सक्रिय किया गया है। वैसे तो नवरात्रि के पावन अवसर पर माँ नवदुर्गा के नौ रुपों की आराधना होती है। लेकिन आप इस नवदुर्गा कवच के माध्यम से हर समय माँ के नौ रुपों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस कवच के मध्य में हाई डेफिनिशन लेंस द्वारा नव दुर्गा की नौ शक्तियों का स्वरूप देखा जा सकता है। यह कवच किसी भी प्रकार की बुरी ताक़त से बचाव करता है। जो कोई व्यक्ति इस यंत्र को धारण करता है वह निडर भाव से हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होता है। साथ ही उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे एकाग्रता शक्ति भी बढ़ती है और रोगों, दुखों, दरिद्रता एवं भय से मुक्ति मिलती है।

कहते हैं पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से सभी पाप कर्मों से मुक्ति मिल सकती है. पारद शिवलिंग की पूजा सिर्फ जल और पुष्प अर्पित कर करना चाहिए. जिस घर में पारद शिवलिंग की पूजा होती है माना जाता है कि वहां स्वंय भगवान शंकर का वास होता है.

नवग्रहों से जो अनिष्ट प्रभाव का भय होता है, उससे मुक्ति भी पारद शिवलिंग से प्राप्त होती है।

It brings know-how by evoking godess Saraswati and enlightens Your sons or daughters with knowledge and sharpens their mind.

देवताओ ने भी हनुमानजी को पारद शिवलिंग उपहार में दिया और कहा की शिवलिंग की पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते है

इसके पश्चात भगवान का पंचोपचार पूजन करें। इसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप और तुलसी के साथ नैवेद्य को शामिल करें।

झाबुआ व बस्तर में रहने वाले आदिवासी, जो शहरों में जड़ी-बूटी बेचते आसानी से देखे जा सकते हैं, उनमें से कई पारद को ठोस बनाने की कला जानते हैं, परंतु पारद से शिवलिंग एक विशेष समय में बनाए जाते हैं जिसे 'विजयकाल' कहा जाता है। तत्पश्चात अच्छा शुभ मुहूर्त देखकर शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई जाती है।

तो हमारा बस यही उत्तर होता है जितना बड़ा आप लेना चाहे उतना बड़ा आप ले सकते है।  ये किसी भी शास्त्र में नहीं लिखा है कि पारद शिवलिंग अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए या छोटा नहीं होना चाहिए।  आप अपनी श्रद्धा अनुसार पारद शिवलिंग रख सकते है। 

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